- Advertisement -

बच्चों के लिए 10 नैतिक कहानियाँ – Short Moral Stories For Kids in Hindi

Moral Stories For Kids in Hindi – नैतिक कहानियाँ बच्चों को सरल और रोचक ढंग से जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाती हैं। ये कहानियाँ न केवल बच्चों का मनोरंजन करती हैं बल्कि उन्हें अच्छे और बुरे के बीच का अंतर समझने में भी मदद करती हैं। कहानी के पात्र, उनकी कठिनाइयाँ, उनके संघर्ष और उनके द्वारा निकाले गए निष्कर्ष बच्चों को नैतिकता की महत्वपूर्ण शिक्षा देते हैं। नैतिक कहानियों (Moral Stories) के माध्यम से बच्चों में ईमानदारी, दया, साहस, सहयोग, और सम्मान जैसे गुणों का विकास किया जा सकता है। ऐसी कहानियाँ बच्चों को सिखाती हैं कि ईमानदारी हमेशा सबसे अच्छी नीति होती है। दया और सहयोग की कहानियाँ बच्चों को यह सिखाती हैं कि हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए और उनके साथ मिलजुल कर रहना चाहिए। साहस की कहानियाँ बच्चों को यह सिखाती हैं कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना कैसे करना चाहिए। ये कहानियाँ बच्चों को आत्मविश्वासी बनाती हैं और उन्हें यह विश्वास दिलाती हैं कि वे किसी भी मुश्किल स्थिति का सामना कर सकते हैं। इसी उद्देश्य से हमने इस संग्रह में बच्चों के लिए कुछ विशेष नैतिक कहानियाँ (Short Moral Stories in Hindi For Kids) प्रस्तुत की हैं।


1. ईमानदार लकड़हारा की कहानी | Moral Story For Kids in Hindi

ईमानदार लकड़हारा की कहानी - Moral Story of The Honest Woodcutter

एक छोटे से गाँव में एक ईमानदार लकड़हारा (Woodcutter) रहता था। उसका नाम मोहन था। मोहन रोज़ जंगल में जाकर पेड़ काटता और उन्हें बेचकर अपना गुजारा करता था। एक दिन, जब वह नदी के किनारे पेड़ काट रहा था, उसका कुल्हाड़ा नदी में गिर गया। मोहन बहुत परेशान हो गया क्योंकि वह कुल्हाड़ा उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण था और उसके पास दूसरा कुल्हाड़ा खरीदने के पैसे नहीं थे।

मोहन ने नदी के किनारे बैठकर भगवान से प्रार्थना की, “हे भगवान, मेरी मदद करें। मैंने अपनी ईमानदारी से हमेशा काम किया है। कृपया मेरा कुल्हाड़ा वापस दिला दें।” उसकी प्रार्थना सुनकर नदी से जल देवी प्रकट हुईं। उन्होंने मोहन से पूछा, “क्या हुआ, बच्चा? तुम इतने दुखी क्यों हो?”

मोहन ने जल देवी को पूरी बात बताई। जल देवी ने कहा, “चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद करूंगी।” यह कहकर जल देवी नदी में डुबकी लगाईं और सोने का एक कुल्हाड़ा लेकर आईं। उन्होंने मोहन से पूछा, “क्या यह तुम्हारा कुल्हाड़ा है?”
मोहन ने सोने के कुल्हाड़े को देखकर कहा, “नहीं, देवी माँ। यह मेरा कुल्हाड़ा नहीं है। मेरा कुल्हाड़ा लोहे का है।” जल देवी ने फिर से डुबकी लगाईं और इस बार चांदी का कुल्हाड़ा लेकर आईं। उन्होंने फिर पूछा, “क्या यह तुम्हारा कुल्हाड़ा है?”

मोहन ने फिर से मना कर दिया। जल देवी ने तीसरी बार नदी में डुबकी लगाईं और लोहे का कुल्हाड़ा लेकर आईं। मोहन ने खुशी से कहा, “हाँ, देवी माँ, यही मेरा कुल्हाड़ा है।” जल देवी मोहन की ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुईं। उन्होंने मोहन को तीनों कुल्हाड़े दे दिए और कहा, “तुम्हारी ईमानदारी के कारण मैं तुम्हें यह तीनों कुल्हाड़े दे रही हूँ।”
मोहन बहुत खुश हुआ और देवी माँ को धन्यवाद कहा। वह अपने गाँव वापस लौटा और अपनी ईमानदारी की कहानी सभी को सुनाई। इस कहानी से सभी गाँववाले बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने भी ईमानदार बनने का संकल्प लिया।

कहानी से सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है और ईमानदारी हमेशा पुरस्कृत होती है।

2. लोमड़ी और अंगूर – The Fox and The Grapes Story

लोमड़ी और अंगूर - The Fox and The Grapes Story For Kids

एक बार की बात है, एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। एक दिन, वह खाने की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी। अचानक उसकी नजर एक अंगूर की बेल पर पड़ी। अंगूर के गुच्छे बहुत ही सुंदर और रसीले लग रहे थे। लोमड़ी ने सोचा, “अगर मैं इन अंगूरों को खा लूं तो मेरी भूख मिट जाएगी।”

लोमड़ी ने अंगूरों तक पहुंचने के लिए बहुत कोशिश की। उसने ऊँचाई पर कूदने की कोशिश की, लेकिन अंगूर बहुत ऊंचे थे। उसने फिर से कोशिश की, लेकिन वह फिर से असफल रही। अंगूर उसकी पहुँच से बाहर थे, और उसकी भूख बढ़ती जा रही थी। कई बार प्रयास करने के बाद भी जब लोमड़ी अंगूरों तक नहीं पहुंच पाई, तो वह निराश हो गई। उसकी कूदने की शक्ति भी कम होती जा रही थी।

लोमड़ी ने सोचा, “ये अंगूर तो खट्टे होंगे। इन्हें खाना बेकार है।” यह कहकर उसने खुद को सांत्वना दी और वहां से चली गई। उसने अपने आप को संतुष्ट किया कि अंगूर वैसे भी उसके खाने के लायक नहीं थे। उसने अपनी कोशिश छोड़ दी और दूसरे खाने की तलाश में आगे बढ़ गई।

इस जंगल में कई अन्य जानवर भी रहते थे, जो अक्सर लोमड़ी की कहानियाँ सुनते थे। जब उन्होंने लोमड़ी से पूछा कि क्या उसने कुछ खाया, तो उसने गर्व से कहा, “अंगूर खट्टे थे, मैंने उन्हें नहीं खाया।” जानवरों ने उसकी बात मान ली, लेकिन भीतर से लोमड़ी जानती थी कि उसने हार मान ली थी।

कहानी से सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हम किसी चीज को पाने में असफल होते हैं, तो हमें यह नहीं मानना चाहिए कि वह चीज हमारे लिए बेकार है। हमें हमेशा अपनी पूरी कोशिश करनी चाहिए और हार नहीं माननी चाहिए।

3. मेहनती चींटी की कहानी | Story in Hindi

मेहनती चींटी और आलसी टिड्डे की कहानी - The Hardworking Ant and the Lazy Grasshopper

एक बार की बात है, एक छोटे से जंगल में एक चींटी और एक टिड्डा (Grasshopper) रहते थे। चींटी बहुत मेहनती थी और हमेशा अपने खाने की तैयारी में जुटी रहती थी। वह हर दिन खाने की तलाश में निकलती और उसे अपने घर में जमा करती। टिड्डा, दूसरी ओर, बहुत आलसी था और हमेशा गाना गाता और आराम करता रहता था।

गर्मियों के दिन थे और चींटी पूरे दिन मेहनत कर रही थी। उसने बहुत सारा खाना जमा कर लिया था। टिड्डा ने चींटी को देखकर कहा, “तुम क्यों इतनी मेहनत कर रही हो? आओ, मेरे साथ गाना गाओ और आराम करो।” लेकिन चींटी ने कहा, “मैं सर्दियों के लिए खाना जमा कर रही हूँ। जब सर्दियाँ आएंगी तो हमें खाने के लिए कुछ नहीं मिलेगा।”

टिड्डा ने चींटी की बात नहीं मानी और अपनी मस्ती में मग्न रहा। कुछ समय बाद, सर्दियाँ आ गईं। चारों ओर बर्फ जम गई और खाना मिलना मुश्किल हो गया। टिड्डा बहुत भूखा हो गया और उसने देखा कि चींटी के पास बहुत सारा खाना जमा है। उसने चींटी से खाने के लिए मदद मांगी। चींटी ने कहा, “तुमने गर्मियों में मेहनत नहीं की, इसलिए अब तुम्हें इसकी सजा भुगतनी पड़ेगी।”

टिड्डा ने अपनी गलती मानी और मेहनती बनने का वादा किया। चींटी ने उसकी मदद की और उसे कुछ खाना दिया।

कहानी से नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा मेहनत करनी चाहिए और भविष्य के लिए तैयारी करनी चाहिए। आलस्य से कुछ भी हासिल नहीं होता।

4. खरगोश और कछुआ की कहानी | Story of Hindi

खरगोश और कछुआ की कहानी - The Hare and the Tortoise Story

एक समय की बात है, एक जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। खरगोश हमेशा अपनी तेज गति पर गर्व करता था और दूसरों का मजाक उड़ाता था। एक दिन, उसने कछुए का मजाक उड़ाते हुए कहा, “तुम बहुत धीमे हो। अगर मैं तुम्हारे साथ दौड़ लगाऊं, तो मैं हमेशा जीतूंगा।”

कछुआ शांत था और उसने खरगोश की चुनौती को स्वीकार कर लिया। उन्होंने दौड़ की शुरुआत की। खरगोश ने बहुत तेजी से दौड़ना शुरू किया और जल्द ही वह बहुत आगे निकल गया। उसने सोचा कि कछुआ बहुत पीछे है और वह थोड़ी देर आराम कर सकता है। वह एक पेड़ के नीचे सो गया।

कछुआ धीमे-धीमे चलता रहा, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। उसने लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए चलना जारी रखा। कुछ समय बाद, वह खरगोश के पास पहुंच गया और उसे सोते हुए देखा। कछुआ बिना रुके आगे बढ़ता रहा और अंत में दौड़ जीत गया।
जब खरगोश ने जागकर देखा, तो उसे बहुत पछतावा हुआ। उसने देखा कि कछुआ जीत चुका है। खरगोश ने समझा कि उसकी घमंड और आलस्य के कारण वह हार गया।

कहानी से शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि निरंतरता और धैर्य हमेशा सफलता की ओर ले जाते हैं। घमंड और आलस्य हमें पीछे छोड़ देते हैं।

5. सच्ची मित्रता की पहचान | Moral Stories for Children in Hindi

Short Moral Stories For kids in Hindi

एक समय की बात है, दो घनिष्ठ मित्र थे, जिनके नाम थे राजू और मोहन। वे हमेशा साथ रहते और एक-दूसरे की मदद करते थे। एक दिन, उन्होंने जंगल में घूमने का फैसला किया ताकि प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले सकें और कुछ नया अनुभव कर सकें।

जंगल में चलते-चलते, अचानक उनके सामने एक बड़ा भालू आ गया। भालू को देखकर राजू के होश उड़ गए और उसने बिना सोचे-समझे तेजी से एक पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचाई। राजू को पेड़ पर चढ़ना आता था, इसलिए वह सुरक्षित था। लेकिन मोहन को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था, और वह घबरा गया। उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करे।

डर के मारे मोहन जमीन पर लेट गया और सांस रोक ली, जैसा कि उसने सुना था कि भालू मृत व्यक्तियों को नुकसान नहीं पहुँचाते। भालू ने मोहन को सूंघा और कुछ देर उसके आसपास घूमता रहा। मोहन ने हिलने-डुलने की कोशिश नहीं की और अपनी सांस रोके रखी। भालू ने सोचा कि मोहन मर चुका है और उसे छोड़कर चला गया।

भालू के जाने के बाद, राजू पेड़ से नीचे उतरा और भागकर मोहन के पास आया। उसने मोहन से पूछा, “भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा?” मोहन ने गुस्से से राजू की ओर देखा और बोला, “भालू ने मुझे सिखाया कि सच्चा दोस्त वह होता है जो मुसीबत में साथ देता है, न कि केवल अपनी जान बचाने की सोचता है।”

राजू ने अपनी गलती समझी और मोहन से माफी मांगी। उसने महसूस किया कि सच्ची मित्रता का अर्थ केवल अच्छे समय में साथ रहना नहीं है, बल्कि कठिनाइयों में भी एक-दूसरे का साथ देना है।

कहानी से शिक्षा: यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा दोस्त वही होता है जो कठिनाइयों में भी हमारा साथ नहीं छोड़ता। हमें अपने दोस्तों का हमेशा साथ देना चाहिए और उन्हें हर स्थिति में सहारा देना चाहिए।

6. राजा और बुद्धिमान सलाहकार | Short Story in Hindi

Moral Story in Hindi - राजा और बुद्धिमान सलाहकार

एक समय की बात है, एक राजा था जिसका नाम विक्रम था। उसके दरबार में एक बहुत बुद्धिमान सलाहकार था जिसका नाम समरसेन था। राजा विक्रम अपने राज्य के हर कोने की देखभाल करता था और अपने सलाहकार की सलाह से ही सारे काम करता था।

एक दिन, राजा ने सलाहकार से पूछा, “समरसेन, तुम हमेशा कहते हो कि जो होता है वह अच्छे के लिए होता है। क्या तुम इसे सिद्ध कर सकते हो?” समरसेन ने मुस्कुराते हुए कहा, “जी हाँ, महाराज।”

कुछ दिनों बाद, राजा विक्रम शिकार पर गया। वहां उसे एक शेर ने हमला कर दिया और राजा की उंगली काट ली। राजा बहुत दुखी हुआ और अपने सलाहकार समरसेन को बुलाया। समरसेन ने कहा, “महाराज, जो हुआ वह अच्छे के लिए हुआ है।”

राजा को बहुत गुस्सा आया और उसने समरसेन को जेल में डालने का आदेश दिया। कुछ दिनों बाद, राजा फिर से शिकार पर गया। इस बार, उसे कुछ आदिवासियों ने पकड़ लिया। वे राजा को बलि देने के लिए ले गए, लेकिन जब उन्होंने देखा कि राजा की उंगली कटी हुई है, तो उन्होंने उसे छोड़ दिया। उनके रीति-रिवाज के अनुसार, वे अपूर्ण शरीर की बलि नहीं दे सकते थे।

राजा ने अपनी जान बचाई और तुरंत अपने मंत्री समरसेन को धन्यवाद कहा। उसने समरसेन को जेल से रिहा किया और उससे माफी मांगी। समरसेन ने मुस्कुराते हुए कहा, “महाराज, मैंने आपसे कहा था कि जो होता है वह अच्छे के लिए होता है। अगर आप मुझे जेल में नहीं डालते, तो मैं भी आपके साथ शिकार पर जाता और शायद मुझे बलि के लिए चुना जाता, क्योंकि मेरा शरीर पूर्ण है। इसलिए, मेरे जेल में होने से भी भला हुआ।”

राजा विक्रम ने यह सुनकर अपनी गलती समझी और समरसेन की बुद्धिमत्ता की सराहना की। उसे विश्वास हो गया कि जीवन में जो भी होता है, वह किसी न किसी अच्छे कारण से होता है।

नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें विश्वास रखना चाहिए कि जो होता है वह अच्छे के लिए होता है। ईश्वर की योजनाएँ हमेशा हमारे भले के लिए होती हैं, चाहे हमें वह तुरंत समझ में न आए।

7. बुद्धिमान खरगोश की कहानी | Small Stories Hindi

बुद्धिमान खरगोश की कहानी - The Rabbit and The Lion Moral Story

एक समय की बात है, एक जंगल में एक शेर रहता था। वह बहुत ही क्रूर और निर्दयी था। उसने जंगल के सभी जानवरों को डराया हुआ था और हर दिन किसी न किसी जानवर को मारकर खा जाता था। जंगल के सभी जानवर उससे बहुत डरते थे। एक दिन उसने जंगल के सभी जानवरों को बुलाया और कहा, “मैं सबसे शक्तिशाली और बड़ा शेर हूँ। इसलिए, हर दिन एक जानवर मेरी गुफा में आकर मेरी खुराक बनेगा। अगर कोई ऐसा नहीं करेगा, तो मैं पूरे जंगल को बर्बाद कर दूंगा।”

जानवरों ने डर के मारे शेर की बात मान ली। हर दिन एक जानवर शेर की गुफा में जाने लगा। कुछ दिनों बाद, एक खरगोश की बारी आई। खरगोश बहुत चतुर था और उसने सोचा कि वह शेर को सबक सिखाएगा ताकि वह हमेशा के लिए उन्हें परेशान करना छोड़ दे। वह धीरे-धीरे शेर के पास जाने लगा ताकि उसे देर हो जाए। शेर बहुत गुस्से में था क्योंकि उसे भूख लगी थी और खरगोश देर से आ रहा था।

जब खरगोश शेर के पास पहुँचा, तो शेर ने गुस्से से पूछा, “तुम इतनी देर से क्यों आए हो?” बुद्धिमान खरगोश ने बहुत ही विनम्रता से कहा, “महाराज, मुझे माफ करें। मैं समय पर आना चाहता था, लेकिन रास्ते में एक दूसरा शेर मिला, जिसने मुझे रोक लिया। वह कह रहा था कि वह इस जंगल का असली राजा है और उसने मुझे पकड़ लिया। मुझे बड़ी मुश्किल से उससे बचकर यहाँ पहुँचा हूँ।”

यह सुनकर शेर बहुत गुस्सा हो गया और बोला, “कहाँ है वह शेर? मुझे तुरंत दिखाओ। मैं उसे सिखाऊँगा कि इस जंगल का असली राजा कौन है।”

बुद्धिमान खरगोश ने शेर को एक गहरे कुएँ के पास ले जाकर कहा, “महाराज, वह शेर इस कुएँ के अंदर है।” शेर ने कुएँ में झाँककर देखा, तो उसे पानी में अपनी ही परछाई दिखाई दी। उसने सोचा कि यह दूसरा शेर है और गुस्से में आकर उसने कुएँ में छलांग लगा दी। इस प्रकार, शेर अपनी ही मूर्खता के कारण कुएँ में डूब गया और मारा गया।

खरगोश ने अपनी चतुराई से जंगल के सभी जानवरों को शेर के आतंक से मुक्त कर दिया। सभी जानवरों ने खरगोश की तारीफ की और उसकी चतुराई की प्रशंसा की।

कहानी से सीख : इस कहानी का नैतिक यह है कि चतुराई और बुद्धिमानी से किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है। विपत्ति के समय धैर्य और सूझबूझ से काम लेना चाहिए। बुद्धिमानी से काम लेना अक्सर ताकत से अधिक प्रभावी होता है।

8. प्यासे कौवे की कहानी – Story of Thirsty Crow

प्यासे कौवे की कहानी (Story of Thirsty Crow)

एक बार की बात है कि बहुत तेज चिलचिलाती गर्मी पड़ रही थी। दोपहर का समय था और इस तपती दोपहर में एक कौवा प्यास के मारे पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था। उसने कई जगह पानी ढूंढा लेकिन कहीं भी पानी नहीं मिला। प्यास से बेहाल कौवा पानी की तलाश में उड़ता ही जा रहा था।

उड़ते-उड़ते प्यासे कौवे की नज़र एक पानी से भरे घड़े पर पड़ी। कौवा खुशी-खुशी घड़े के पास आया और पानी पीने के लिए उसने अपना मुँह घड़े के अंदर डाला। लेकिन उसने देखा कि पानी उसकी पहुँच से बाहर है। बहुत प्रयास करने के बाद भी वह अपनी चोंच पानी तक नहीं पहुंचा पा रहा था।

कौवे ने सोचा और समझा कि उसे कोई तरकीब निकालनी होगी। तभी उसकी नजर घड़े के पास पड़े कुछ पत्थरों और कंकड़ों पर पड़ी। कौवे ने एक तरकीब सोची और उसने अपने चोंच में कंकड़ उठाकर घड़े में डालना शुरू किया। एक-एक करके वह कंकड़ उठाता और घड़े में डालता गया। धीरे-धीरे, कंकड़ डालने से घड़े का पानी ऊपर आने लगा।

कौवा बिना हिम्मत हारे लगातार कंकड़ डालता रहा। उसकी मेहनत रंग लाई और देखते ही देखते पानी घड़े के ऊपरी सिरे तक पहुंच गया। अब कौवा आराम से पानी पी सकता था। उसने पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई और उसकी जान बच गई।

कहानी से सीख: किसी भी परिस्थिति में अपना स्वभाव सकारात्मक और धैर्यपूर्ण रखना चाहिए। अगर हम किसी कार्य को शुरू करने से पहले ही हार मान लेते हैं, तो असफलता निश्चित है। सफलता प्राप्त करने के लिए हमें समस्याओं का समाधान ढूंढना चाहिए और निरंतर मेहनत करते रहना चाहिए।

9. भेड़िया और सारस की कहानी – Story of Wolf and Stork

भेड़िया और सारस की कहानी  Story of Wolf and Stork

एक समय की बात है, जंगल में एक भेड़िया बहुत भूखा और प्यासा भटक रहा था। काफी देर तक भोजन की तलाश में इधर-उधर भटकने के बाद, उसे आखिरकार एक जानवर दिखा और भेड़िये जानवर को मारकर खाने लगा, लेकिन खाते-खाते उसके गले में जानवर की एक हड्डी फंस गई।

भेड़िया ने हड्डी को निकालने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो सका। गले में फंसी हड्डी से परेशान होकर वह इधर-उधर भटकने लगा कि शायद कोई उसकी मदद कर सके। लेकिन जंगल के अन्य जानवरों ने उसकी मदद करने से मना कर दिया क्योंकि वे भेड़िये से डरते थे।

बहुत देर भटकने के बाद, भेड़िया एक सारस (stork)) से मिला। भेड़िये ने अपनी सारी समस्या सारस को बताई और उससे मदद की गुहार लगाई। सारस ने सोचा और कहा, “अगर मैं तुम्हारी मदद करूँ, तो तुम मुझे क्या दोगे?” भेड़िये ने जवाब दिया, “अगर तुम मेरी मदद करते हो, तो मैं तुम्हें इनाम दूंगा।”

इनाम के लालच में सारस ने भेड़िये की मदद करने का फैसला किया। उसने अपनी लंबी चोंच को भेड़िये के मुंह में डालकर गले में फंसी हड्डी को बाहर निकाल दिया। जैसे ही सारस ने हड्डी निकाली, भेड़िया बहुत खुश हुआ और जाने लगा।

सारस ने भेड़िये से कहा, “तुमने कहा था कि मदद करने के बदले मुझे इनाम दोगे, लेकिन अब तुम जा रहे हो, यह तो गलत है।” भेड़िये ने हंसते हुए कहा, “तुमने मेरे मुंह में अपनी गर्दन डाली और इसके बाद भी तुम सही सलामत बच गए, यही तुम्हारा इनाम है।”

यह सुनकर सारस बहुत दुखी हुआ और उसने समझा कि उसने एक स्वार्थी जानवर की मदद की थी।

कहानी से सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें स्वार्थी लोगों का साथ नहीं देना चाहिए। स्वार्थी लोग अपने फायदे के लिए दूसरों का इस्तेमाल करते हैं और उन्हें उनकी मेहनत का सही फल नहीं देते। जीवन में हमेशा स्वार्थी लोगों से सावधान रहें और सही लोगों का साथ दें।

10. चींटी और कबूतर की कहानी | Short Stories in Hindi with Moral for Kids

The Ant and the Dove - चींटी और कबूतर की कहानी

एक समय की बात है, एक घने जंगल में गर्मियों के दिन थे और एक चींटी पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी। प्यास से बेहाल चींटी को काफी देर भटकने के बाद एक नदी दिखाई दी। नदी को देखकर चींटी बहुत खुश हुई। प्यास बुझाने के लिए चींटी एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ी, लेकिन फिसलकर नदी में गिर गई।

नदी में गिरने के कारण चींटी डूबने लगी। नदी के पास एक कबूतर रहता था, जो पेड़ पर बैठकर यह सब देख रहा था। कबूतर ने देखा कि चींटी को तुरंत ही मदद की जरूरत है। वह उड़कर गया और एक पेड़ से पत्ता तोड़कर ले आया। इसके बाद कबूतर ने पत्ता नदी में गिरा दिया। चींटी ने तैरकर पत्ते पर चढ़ गई, और पत्ता बहकर नदी के किनारे आ गया। इस तरह, चींटी की जान बच गई।

इस घटना के बाद चींटी और कबूतर के बीच अच्छी दोस्ती हो गई। दोनों खुशी से साथ रहने लगे। फिर एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। शिकारी ने पेड़ पर बैठे कबूतर को देखा और उसे मारने के लिए बंदूक से निशाना साधा।

लेकिन पास में मौजूद चींटी यह सब देख रही थी। चींटी तुरंत ही शिकारी के पास गई और पूरी ताकत से उसके पैर पर काटा। शिकारी दर्द के मारे चिल्लाने लगा, जिससे उसके हाथ से बंदूक गिर गई। शिकारी की आवाज सुनकर कबूतर ने उसे देखा और तुरंत ही वहां से उड़ गया।

जब शिकारी चला गया, तो कबूतर चींटी के पास जाकर उसका धन्यवाद किया। इस तरह से चींटी और कबूतर ने एक-दूसरे की मदद की और उनकी दोस्ती और मजबूत हो गई।

कहानी से नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में किए गए नेक और अच्छे काम कभी बेकार नहीं जाते। अच्छे काम करते रहिए, उनका फल लौटकर जरूर आपके पास आता है।

11. चूहा और शेर की कहानी | Story of The Mouse and The Lion

चूहा और शेर की कहानी  Story of The Mouse and The Lion

एक घने जंगल में एक शेर रहता था, जो जंगल का राजा माना जाता था। वह बहुत शक्तिशाली और डरावना था। सभी जानवर उससे डरते थे और उसके सामने आने से बचते थे। एक दिन, जब शेर जंगल में घूम रहा था, वह थक गया और एक बड़े पेड़ के नीचे सोने के लिए लेट गया।

उसी जंगल में एक छोटा चूहा भी रहता था, जो बहुत ही चंचल और शरारती था। वह अक्सर इधर-उधर दौड़ता और खेलता रहता था। उस दिन, खेलते-खेलते चूहा उस पेड़ के पास आ गया जहाँ शेर सो रहा था। चूहा शेर के ऊपर दौड़ने लगा और उसके शरीर पर इधर-उधर उछल-कूद करने लगा।

शेर की नींद टूट गई और उसने गुस्से में चूहे को पकड़ लिया। शेर ने जोर से दहाड़ते हुए कहा, “तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई कि तुम मुझे परेशान कर रहे हो? मैं तुम्हें अभी के अभी खा जाऊंगा।” चूहा डर के मारे कांपने लगा और शेर से माफी मांगने लगा।

चूहे ने कहा, “मुझे माफ कर दीजिए, महाराज। मैं गलती से ऐसा कर बैठा हूँ। अगर आप मुझे छोड़ देंगे तो मैं आपके इस एहसान को कभी नहीं भूलूंगा।” शेर को चूहे की बात सुनकर हंसी आ गई और उसने चूहे को छोड़ दिया।

कुछ दिनों बाद, शेर जंगल में शिकार की तलाश में निकला। दुर्भाग्यवश, वह एक शिकारी के जाल में फंस गया। शेर ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह जाल से निकल नहीं पाया। वह जोर-जोर से दहाड़ने लगा। उसकी दहाड़ सुनकर चूहा दौड़ते हुए वहाँ आ गया।

चूहे ने देखा कि शेर जाल में फंसा हुआ है। उसने शेर से कहा, “महाराज, आप चिंता मत करें। मैं आपकी मदद करूंगा।” चूहे ने अपनी नुकीली दाँतों से जाल को कुतरना शुरू किया। थोड़ी ही देर में जाल कट गया और शेर आजाद हो गया।

शेर ने चूहे को धन्यवाद दिया और कहा, “तुमने मेरी जान बचाई। अब मैं समझ गया हूँ कि छोटे और कमजोर दिखने वाले भी कभी-कभी बड़े काम कर सकते हैं।” चूहे ने मुस्कुराते हुए कहा, “महाराज, हमें कभी भी किसी को छोटा या कमजोर नहीं समझना चाहिए। हर किसी में कुछ न कुछ खास होता है।”

इस घटना के बाद शेर और चूहा अच्छे दोस्त बन गए और उन्होंने एक-दूसरे की मदद करने का वादा किया।

कहानी से नैतिक शिक्षा: किसी को भी छोटा या कमजोर नहीं समझना चाहिए, हर किसी की अपनी खासियत होती है।

12. कौवा और कोयल की कहानी

कौवा और कोयल की कहानी

एक समय की बात है, एक सुंदर जंगल में दो पक्षी रहते थे, एक कौवा और एक कोयल। कौवा बहुत चालाक था और उसकी आवाज कर्कश थी, जबकि कोयल की आवाज मधुर और सुरीली थी। जंगल के सभी जानवर कोयल की मधुर आवाज सुनने के लिए उसके पास आते थे, जिससे कौवा को जलन होती थी।

एक दिन, कौवा ने सोचा, “अगर मैं भी कोयल की तरह गा सकता, तो सभी जानवर मेरी तरफ भी आकर्षित होते।” कौवा ने कोयल से जाकर कहा, “कोयल बहन, क्या तुम मुझे अपनी तरह गाना सिखा सकती हो?” कोयल ने मुस्कुराते हुए कहा, “कौवा भाई, मेरी आवाज प्राकृतिक है, इसे सिखाना मुश्किल है। लेकिन तुम अपनी आवाज में भी कुछ अच्छा कर सकते हो।”

कौवा को कोयल की बात समझ नहीं आई और उसने खुद ही कोयल की तरह गाने की कोशिश शुरू कर दी। उसने अपनी कर्कश आवाज को बदलने का बहुत प्रयास किया, लेकिन उसकी आवाज और भी कर्कश हो गई। जंगल के अन्य जानवर उसकी आवाज सुनकर हंसने लगे। कौवा को बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई।

अगले दिन, कौवा ने अपनी गलती मानी और कोयल से माफी मांगी। कोयल ने उसे समझाते हुए कहा, “कौवा भाई, हर किसी की अपनी विशेषता होती है। तुम्हारी कर्कश आवाज में भी एक अनोखी बात है। हमें अपनी विशेषताओं को अपनाना चाहिए और उसी में खुश रहना चाहिए।”

कुछ दिनों बाद, जंगल में एक संगीत प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। सभी पक्षी अपनी-अपनी आवाज में गा रहे थे। कौवा ने भी अपनी कर्कश आवाज में गाने का फैसला किया, लेकिन इस बार वह आत्मविश्वास से भरा हुआ था। उसने बिना किसी झिझक के अपनी आवाज में गाना गाया। उसकी कर्कश आवाज में भी एक अलग ही आकर्षण था, जिसे सभी ने सराहा।

कोयल ने भी कौवा की तारीफ की और कहा, “कौवा भाई, तुमने साबित कर दिया कि हमें अपनी असली आवाज और विशेषता को अपनाना चाहिए।” कौवा ने गर्व से कहा, “तुम सही कहती हो, कोयल बहन। हमें वही बनना चाहिए जो हम वास्तव में हैं।”

इस घटना के बाद, कौवा और कोयल अच्छे दोस्त बन गए और एक-दूसरे की विशेषताओं का सम्मान करने लगे। उन्होंने सीखा कि हर किसी की अपनी अलग विशेषता होती है और हमें अपनी असली पहचान को स्वीकार करना चाहिए।

कहानी से नैतिक शिक्षा: हमें अपनी प्राकृतिक विशेषताओं को स्वीकार करना चाहिए और उसी में खुश रहना चाहिए।


Conclusion – बचपन का समय जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और सिखने योग्य दौर होता है। इस समय में बच्चों के मन और दिल को अच्छे मूल्यों, संस्कारों और नैतिकताओं से सजाना अत्यंत आवश्यक होता है। बच्चों के व्यक्तित्व और भविष्य को आकार देने में नैतिक कहानियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हिंदी में नैतिक कहानियों का एक लंबा और समृद्ध इतिहास है, जिसमें पौराणिक कथाओं से लेकर आधुनिक समय की कहानियाँ शामिल हैं। उम्मीद है की आपको यह लेख “Short Moral Stories in Hindi” पसंद आई होगी। यदि आपको यह लेख पसंद आई या कुछ सीखने को मिला तो कृपया इस पोस्ट को दूसरों के साथ शेयर करें और कोई सुझाव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में हमें लिखें। धन्यवाद !!


FAQs – Moral Story in Hindi For Kids

1. नैतिक कहानियाँ क्या होती हैं? (What are moral stories?)

नैतिक कहानियाँ वे कहानियाँ होती हैं जो बच्चों को जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों और सिद्धांतों को सिखाती हैं। इनमें मुख्य रूप से अच्छे और बुरे कार्यों के परिणाम, ईमानदारी, मेहनत, दयालुता, और अन्य नैतिक गुणों के बारे में सिखाया जाता है। ये कहानियाँ बच्चों को सही और गलत की पहचान करने में मदद करती हैं और उन्हें अच्छे संस्कार प्रदान करती हैं।

2. बच्चों के लिए नैतिक कहानियाँ क्यों महत्वपूर्ण हैं? (Why are moral stories important for kids?)

बच्चों के लिए नैतिक कहानियाँ इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये उनके मानसिक और भावनात्मक विकास में सहायक होती हैं। ये कहानियाँ बच्चों को जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाती हैं और उन्हें अच्छे और बुरे कार्यों के बीच अंतर करने में मदद करती हैं। इसके अलावा, नैतिक कहानियाँ बच्चों की कल्पनाशक्ति को बढ़ाती हैं और उन्हें रचनात्मक सोचने के लिए प्रेरित करती हैं।

3. नैतिक कहानियाँ बच्चों को कैसे प्रभावित करती हैं? (How do moral stories impact children?)

नैतिक कहानियाँ बच्चों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। ये कहानियाँ बच्चों में नैतिक मूल्यों की स्थापना करती हैं, उनकी सोचने और समझने की क्षमता को बढ़ाती हैं, और उन्हें जीवन में सही निर्णय लेने के लिए प्रेरित करती हैं। इसके अलावा, ये कहानियाँ बच्चों की भाषा और संचार कौशल (Communication Skills) को भी सुधारती हैं।

4. बच्चों को नैतिक कहानियाँ कैसे सुनाई जाएं? (How to narrate moral stories to kids?)

बच्चों को नैतिक कहानियाँ सुनाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का उपयोग किया जा सकता है:
– कहानी को रोचक और जीवंत बनाएं, ताकि बच्चे उसमें दिलचस्पी लें।
– कहानी सुनाते समय आवाज के उतार-चढ़ाव का ध्यान रखें।
– कहानी के पात्रों को जीवंत बनाने के लिए उनके हाव-भाव और आवाज की नकल करें।
– कहानी के अंत में बच्चों से पूछें कि उन्होंने क्या सीखा और उस पर चर्चा करें।
– बच्चों को कहानी के नैतिक संदेश को सरल और स्पष्ट रूप से समझाएं।


    Also Read:

    Leave a Comment

    Advertisement