Madhurashtakam Lyrics in Hindi – मधुराष्टकम् भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति में लिखा गया एक प्रसिद्ध स्तोत्र है, जो श्री वल्लभाचार्य के द्वारा रचित आठ श्लोकों की वंदना है। मधुराष्टकम् में श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं और स्वरूपों को ‘मधुर’ (मधुरता से भरपूर) रूप में वर्णित किया है। मधुराष्टकम् का पाठ और श्रवण भक्तों को असीम शांति और आनंद की अनुभूति कराता है। इस लेख में हम मधुराष्टकम् के श्लोकों का हिंदी में अर्थ सहित प्रस्तुत कर रहे हैं –
मधुराष्टकम् स्तोत्र – Madhurashtakam Lyrics in Hindi
॥अथ श्री मधुराष्टकं॥
अदरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥1॥
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।
चलितं मधुरं रमणं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥2॥
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥3॥
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥4॥
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम्।
वमितं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥5॥
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरम् ॥6॥
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥7॥
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टि: मधुरा सृष्टि: मधुरा।
दलीतं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥8॥
।।अथ श्री वल्लभाचार्य विरचितं मधुराष्टकं संपूर्णम्।।
मधुराष्टकम् स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
अथ श्री मधुराष्टकम्
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरम्।1।
अर्थ: उनके होंठ मधुर हैं, उनका मुख मधुर है, उनकी आंखें मधुर हैं, उनकी हंसी मधुर है। उनका हृदय मधुर है, उनका चलना मधुर है, और भगवान मधुराधिपति (मधुरता के स्वामी) का सब कुछ मधुर है।
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम् ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधम्रम् ।2।
अर्थ: उनके वचन मधुर हैं, उनके चरित्र मधुर हैं, उनके वस्त्र मधुर हैं, उनकी अदाएं मधुर हैं। उनके उदर के मोड़ मधुर हैं, उनकी गतिविधियाँ मधुर हैं, उनका भ्रमण करना (घुमना) मधुर है- मधुरता के सम्राट की सभी वस्तुएँ मधुर हैं।
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरम् ।3।
अर्थ: उनकी बांसुरी मधुर है, उनके पाँव की रज (धूल) मधुर है, उनके हाथ मधुर हैं, उनके पैर मधुर हैं। उनका नृत्य मधुर है, उनका सखा भाव मधुर है, और भगवान मधुराधिपति का सब कुछ मधुर है।
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरम् ।4।
अर्थ: उनका गायन मधुर है, उनके पीत वस्त्र (पीले वस्त्र) मधुर हैं, उनका खाना मधुर है, उनका शयन करना मधुर है, उनका सौंदर्य मधुर है, उनका तिलक मधुर है- मधुरता के सम्राट की सभी वस्तुएँ मधुर हैं।
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरम्।5।
अर्थ: उनके कर्म मधुर हैं, उनका मुक्ति प्रदान करना मधुर है, उनका चोरी करना मधुर है, उनकी जल-क्रीडाएँ मधुर हैं, उनका अर्पित करना मधुर है, उनकी निस्तब्धता या शांत रहना मधुर है और भगवान मधुराधिपति का सब कुछ मधुर है।
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरम् ।6।
अर्थ: उनका गुञ्जा-बेरी का हार मधुर है, उनकी पुष्प-माला मधुर है, उनकी यमुना नदी मधुर है, उनकी लहरें मधुर हैं, उनका जल मधुर है, उनके कमल मधुर हैं और भगवान मधुराधिपति का सब कुछ मधुर है।
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्।
दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरम् ।7।
अर्थ: उनकी गोपियाँ मधुर हैं, उनकी लीलाएं मधुर हैं, उनका युक्त भाव मधुर है, उनकी मुक्ति मधुर है। उनका देखाना मधुर है, उनका सुसंस्कार (शिष्टाचार) मधुर है, और भगवान मधुराधिपति का सब कुछ मधुर है।
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरंम्।8।
अर्थ: उनके गोप (ग्वाले) मधुर हैं, उनकी गायें मधुर हैं, उनकी हांकने की छड़ी मधुर है, उनकी सृष्टि मधुर है। उनके फूल मधुर हैं, उनके फल (वर देना) मधुर हैं, और भगवान मधुराधिपति का सब कुछ मधुर है।
।।अथ श्री वल्लभाचार्य विरचितं मधुराष्टकं संपूर्णम्।।
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