Baba Basukinath Mandir – बाबा बासुकीनाथ धाम झारखंड में दुमका जिले के जरमुंडी ब्लॉक में स्थित है। यह देवघर-दुमका राज्य राजमार्ग पर देवघर से लगभग 45 किमी और दुमका से लगभग 25 किमी उत्तर-पश्चिम में है। बासुकीनाथ मंदिर जहाँ भगवान शिव, बासुकीनाथ के रूप में पूजे जाते हैं जिसे भोले नाथ का दरबार और फौजदारी धाम के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि जब तक बासुकीनाथ के दर्शन न किए जाएँ तब तक देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ के दर्शन अधूरे ही माने जाते हैं। यदि आप बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर जाने की योजना बना रहे हैं, तो बासुकीनाथ धाम भी आपको अवश्य जाना चाहिए। इस पोस्ट में हम आपको बाबा Basukinath Temple के बारे में सारी जानकारी देंगे। इसिलिए पोस्ट को अंत तक पढ़े।
बाबा बासुकीनाथ मंदिर – प्रमुख जानकारी
देव | बाबा बासुकीनाथ |
देवता | भगवान शिव |
पता | बासुकीनाथ धाम, जिला- दुमका, झारखण्ड |
दर्शन समय | सुबह 3:00 से रात 9:00 बजे तक |
पूजा | रुद्राभिषेक, लघुरुद्राभिषेक, गठबंधन पूजा |
दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय | जनवरी से दिसंबर |
समारोह /त्योहार | श्रावण, महा शिवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा |
निकटतम हवाई अड्डा | निकटतम हवाई अड्डा देवघर हवाई अड्डा है, जो बासुकीनाथ धाम मंदिर से लगभग 50 किमी दूर है। |
निकटतम रेलवे स्टेशन | निकटतम रेलवे स्टेशन बासुकीनाथ रेलवे स्टेशन है, जो देवघर-दुमका ट्रेन रूट पर है। बासुकीनाथ रेलवे स्टेशन से बासुकीनाथ मंदिर की दुरी 2 किलोमीटर है। |
निकटतम बस स्टैंड | निकटतम बस स्टैंड बासुकीनाथ बस स्टैंड है, जो बासुकीनाथ मंदिर से केवल 2 किमी की दूरी पर है। देवघर बस स्टैंड (43 KM) और दुमका बस स्टैंड (25 KM) से बासुकीनाथ के लिए रोज़ बसें चलती है। |
बासुकीनाथ मंदिर का इतिहास
बासुकीनाथ मंदिर इस क्षेत्र के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में हिंदू राजा हरिश्चंद्र के वंशज राजा बीरभद्र राय ने 1596 में करवाया था। वर्तमान संरचना 19 वीं शताब्दी में बनाई गई है जिसे एक आदिवासी बसकी तात्मे ने लगभग 150 वर्ष पहले बनवाया था।
बासुकीनाथ मंदिर के इतिहास के बारे में कई किंवदन्तिया और दन्त कथाएँ हैं। बासुकीनाथ मंदिर की कथा समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि सागर मंथन के दौरान मंदर पर्वत को मथने के लिए वासुकी नाग को माध्यम (रज्जू के रूप में) बनाया गया था। इन्हीं वासुकी नाग ने इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा अर्चना की थी। यही कारण है कि यहाँ विराजमान भगवान शिव को बासुकीनाथ कहा जाता है।
एक स्थानीय मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि यह स्थान कभी एक हरे-भरे वन क्षेत्र से भरा था। एक बार बासुकी नाम का एक व्यक्ति भोजन की तलाश में इस वन क्षेत्र में आया। उसने कंदमूल प्राप्त करने के लिए जमीन को खोदना शुरू किया। एक स्थान से लता कुंज को हटाकर कंद की जड़ में खंती से प्रहार किया, उस स्थान में नागनाथ लता कुंज से ढके हुए थे। तभी अचानक खंती के प्रहार से उस स्थान से खून बहने लगा।
बासुकी घबराकर वहाँ से जाने लगा तब आकाशवाणी हुई और बासुकी को यह आदेशित किया गया कि वह उस स्थान पर भगवान शिव की पूजा अर्चना प्रारंभ करे। बासुकी ने जमीन से प्रकट हुए भगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग की पूजा अर्चना प्रारंभ कर दी, तब से यहाँ स्थित भगवान शिव बासुकीनाथ कहलाए।

बाबा बासुकीनाथ धाम का महत्व
मान्यता है कि जैसे बैद्यनाथ धाम में विराजमान भगवान शिव जहाँ दीवानी मुकदमों की सुनवाई करते हैं वहीं बासुकीनाथ में विराजित भोलेनाथ श्रद्धालुओं की फौजदारी फ़रियाद सुनते हैं और उनका निराकरण करते हैं। बासुकीनाथ में भगवान शिव का स्वरूप नागेश का है। यही कारण है कि यहाँ भगवान शिव को दूध अर्पित करने वाले भक्तों को भगवान शिव का भरपूर आशीर्वाद प्राप्त होता है और फौजदारी मुकदमों में न्याय प्राप्त होता है।
श्रावणी मेला – कांवड़ यात्रा
बासुकीनाथ जुलाई और अगस्त के बीच श्रावण के मेले के लिए प्रसिद्ध है। जुलाई अगस्त के महीनों में भारत के कई राज्यों से भारी संख्या में लोग दर्शन करने और जल चढाने आते हैं। जिसे कांवरिया मेला या कांवड़ यात्रा के नाम से भी जानते हैं
कांवड़ यात्रा में शिव भक्त सबसे पहले बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज (उत्तरवाहिनी गंगा), जो बासुकीनाथ से लगभग 135 किलोमीटर दूर है, वहाँ पहुंचते हैं और गंगा जल लेकर बाबा बैद्यनाथ धाम पैदल पहुँचते हैं और भगवान शिव को गंगाजल अर्पित करते हैं ।
बाबा बैद्यनाथ के बाद अधिकांश श्रद्धालु बासुकीनाथ पहुँचते हैं क्योंकि मान्यता भी है कि जब तक बासुकीनाथ के दर्शन न किए जाएँ तब तक बाबा बैद्यनाथ धाम की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी। इसलिए श्रद्धालु अपने साथ गंगाजल और दूध लेकर बासुकीनाथ पहुँचते हैं और भगवान शिव का अभिषेक करते हैं।
कैसे पहुँचे बासुकीनाथ मंदिर
बासुकीनाथ मंदिर देवघर से लगभग 46 किलोमीटर और दुमका से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बासुकीनाथ धाम पहुंचने के लिए आप देवघर या जसीडीह या दुमका से बस, ट्रेन या टैक्सी ले सकते हैं।
- रोड से – देवघर बस स्टैंड और दुमका बस स्टैंड से बासुकीनाथ के लिए रोज़ बसें चलती है। बासुकीनाथ बस स्टैंड से बासुकीनाथ मंदिर की दुरी 2 किलोमीटर है। वहीं दुमका बस स्टैंड से बासुकीनाथ मंदिर की दुरी 25 किलोमीटर है। आप देवघर, जसीडीह या दुमका से टैक्सी भी ले सकते हैं। राँची से बासुकीनाथ लगभग 294 किमी और धनबाद से लगभग 130 किमी की दूरी पर स्थित है।
- रेल से – बासुकीनाथ मंदिर, देवघर-दुमका ट्रेन रूट पर है। बासुकीनाथ रेलवे स्टेशन से बासुकीनाथ मंदिर की दुरी 2 किलोमीटर है। दुमका रेलवे स्टेशन से बासुकीनाथ मंदिर की दुरी 24 किलोमीटर और जसीडीह (JSME) रेलवे स्टेशन से बासुकीनाथ मंदिर की दुरी 50 किलोमीटर है।
- हवाई मार्ग से – निकटतम हवाई अड्डा देवघर हवाई अड्डा है, जो बासुकीनाथ मंदिर से लगभग 50 किमी दूर है। देवघर से आप बस, ट्रेन या टैक्सी ले सकते हैं। अन्य नजदीकी हवाई अड्डे हैं – बिरसा मुंडा हवाई अड्डा रांची (250 KM), लोक नायक हवाई अड्डा पटना (255 KM) और नेताजी सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डा कोलकाता (271 KM).
कहां रुके – Hotels in Basukinath Dham
आप देवघर या जसीडीह के किसी भी अच्छे होटल में ठहर सकते हैं। बासुकीनाथ धाम में भी गेस्टहाउस से लेकर धर्मशालाओं तक विभिन्न आवास विकल्प मिल जायेंगे। आप बासुकीनाथ के पास आवास के लिए झारखंड पर्यटन विकास विभाग से भी संपर्क कर सकते हैं –
पता: होटल बासुकी विहार, बैंकोफ शिवगंगा, एसबीआई के सामने, बासुकीनाथ
Email: hotelbasukivihar@gmail.com
मोबाइल नंबर: 9102403876
बासुकीनाथ मंदिर के नजदिक सुविधायें
निकटतम अस्पताल – जरमुंडी सरकारी अस्पताल- 4 किलोमीटर
निकटतम पुलिस स्टेशन – जरमुंडी थाना- 3 किलोमीटर
इनके अलावा Basukinath Mandir के नजदिक आपको छोटे मोटे रेस्टोरेंट और जनसुविधाएं मिल जाएंगे।
FAQs – Basukinath Mandir
1. देवघर से बासुकीनाथ की दूरी कितनी है?
बासुकीनाथ मंदिर देवघर से लगभग 46 किलोमीटर और दुमका से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
2. दर्शन और पूजा के लिए कोई ड्रेस कोड है ?
हालाँकि कोई ड्रेस कोड नहीं है, फिर भी आम तौर पर पारंपरिक कपडे पहनने का सुझाव दिया जाता है।
3. मंदिर में दर्शन का समय क्या है?
दिन के समय – सुबह 3:00 बजे से दोपहर 4:00 बजे तक।
रात के समय – सूर्यास्त के बाद 8:00 बजे रात में।
आरती – 5 PM- 7 PM
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