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गणेश जी के श्लोक संस्कृत में – Shri Ganesh Mantra in Sanskrit With Hindi Meaning

Shri Ganesh Mantra in Sanskrit – भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है, हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। हर शुभ कार्य की शुरुआत उनकी आराधना से की जाती है ताकि सभी बाधाओं का नाश हो सके। संस्कृत में गणेश जी के श्लोक और मंत्र (Ganesh Shlok and Mantra) उनकी दिव्यता और शक्तियों को दर्शाते हैं। ये श्लोक न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करते हैं बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करते हैं। इस पोस्ट में हम गणेश जी के कुछ प्रमुख संस्कृत श्लोक और और मंत्र उनके हिंदी अर्थ प्रस्तुत करेंगे। इन श्लोकों का नियमित जप न केवल मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि जीवन की सभी समस्याओं और कष्टों को दूर करता है। आइए, इन पवित्र श्लोकों के माध्यम से भगवान गणेश की महिमा का गुणगान करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख, शांति, और समृद्धि से भरपूर बनाएं।

10 शक्तिशाली गणेश मंत्र – Powerful Ganesha Mantra in Sanskrit

श्री गणेश बीज मंत्र – ऊँ गं गणपतये नमो नमः।

श्री गणेश गायत्री मंत्र – ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्।

गणेश-कुबेर मंत्र – ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।

कर्ज मुक्ति गणेश मंत्र – ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्।

कार्य सिद्धि गणेश मंत्र – ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा।

शक्तिविनायक मंत्र – ॐ ह्रींग ग्रीङ्ग ह्रींग।

लक्ष्मी विनायक मंत्र – ॐ गं नमः।

षडाक्षर गणेश मंत्र – ॐ वक्रतुंडाय हुम्‌।

शांति और सौहार्द के लिए गणेश मंत्र – ॐ ग्लौं गं गणपतये नम:।

गणेश जी के नामावली मंत्र –

  • ॐ श्री गणेशाय नम:।
  • ॐ गजाननाय नमः।
  • ॐ विघ्ननाशाय नमः।
  • ॐ लम्बोदराय नमः।
  • ॐ सुमुखाय नमः।
  • ॐ गजकर्णकाय नमः।
  • ॐ विकटाय नमः।
  • ॐ विनायकाय नमः।
  • ॐ सिद्धि विनायकाय नम:।
  • ॐ वक्रतुंडाय नमो नम:।
  • ॐ एकदंताय नमो नम:

गणेश जी के श्लोक संस्कृत में – Shri Ganesh Shlok in Sanskrit | Hindi

वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा॥

अर्थ – हे वक्र तुंड (वक्राकार सूंड वाले), महाकाय (विशाल शरीर वाले), सूर्य के करोड़ों किरणों के समान तेजस्वी भगवान गणेश, कृपया मेरे सभी कार्यों को बिना किसी बाधा के हमेशा पूरा करें। इस श्लोक का उच्चारण भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है, ताकि वे हमारे सभी कार्यों को बिना किसी बाधा के संपन्न करें और हमें सफलता प्रदान करें।

एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥

अर्थ – मैं एकदंत (एक दांत वाले), महाकाय (विशाल शरीर वाले), लम्बोदरगजानन (लंबे पेट और हाथी के मुख वाले), विघ्ननाशक (विघ्नों का नाश करने वाले) देवता हेरम्ब (कोमल और करुणामय भगवान गणेश) को प्रणाम करता हूँ। इस श्लोक का उच्चारण भगवान गणेश की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भगवान गणेश की आराधना से सभी विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं और सफलता की प्राप्ति होती है।

नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं।
गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च॥

अर्थ – मैं भगवान गणेश को प्रणाम करता हूँ, जो सभी प्रकार के अर्थ (संपत्ति और समृद्धि) प्रदान करने वाले, स्वर्ण के समान रंग वाले, सर्प की यज्ञोपवीत धारण करने वाले, हाथी के मुख वाले, एक दांत वाले और सूर्य के समान तेजस्वी, लंबे पेट वाले और मूषक वाहन वाले हैं। इस श्लोक का उच्चारण भगवान गणेश की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भगवान गणेश की आराधना से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति मिलती है।

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥

अर्थ – मैं गजानन (हाथी के मुख वाले) भगवान गणेश को प्रणाम करता हूँ, जिनकी सेवा भूतगण और देवता करते हैं, जो कपित्थ और जम्बू फल का सुंदर भक्षण करते हैं, जो माता उमा (पार्वती) के पुत्र हैं, और जो शोक का नाश करने वाले हैं। मैं विघ्नेश्वर (विघ्नों के स्वामी) भगवान गणेश के चरण कमलों को नमस्कार करता हूँ। इस श्लोक का उच्चारण भगवान गणेश की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भगवान गणेश की आराधना से सभी प्रकार की बाधाएं और दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षकं।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्॥

अर्थ – हे गणाध्यक्ष (गणों के स्वामी) भगवान गणेश, कृपया हमारी रक्षा करें, आप तीनों लोकों के रक्षक हैं। आप अपने भक्तों को निडर बनाते हैं और संसार रूपी भवसागर से उद्धार करते हैं। इस श्लोक का उच्चारण भगवान गणेश की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भगवान गणेश की आराधना से सभी प्रकार के भय और बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

केयूरिणं हारकिरीटजुष्टं चतुर्भुजं पाशवराभयानिं।
सृणिं वहन्तं गणपं त्रिनेत्रं सचामरस्त्रीयुगलेन युक्तम्॥

अर्थ – मैं भगवान गणेश को प्रणाम करता हूँ, जो बाजूबंद पहने हुए हैं, माला और मुकुट से सुसज्जित हैं, चार भुजाओं वाले हैं, जिनमें से एक में पाश, दूसरी में वरद और अभय मुद्रा है, और एक हाथ में अंकुश धारण किए हुए हैं। वे तीन नेत्रों वाले हैं और उनके दोनों ओर चामर लिए दो महिलाएं उपस्थित हैं। इस श्लोक का उच्चारण भगवान गणेश की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भगवान गणेश की आराधना से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः ।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने ॥

अर्थ – मैं एकदंत (एक दांत वाले), शुद्ध (पवित्र), सुमुख (सुंदर मुख वाले) भगवान गणेश को प्रणाम करता हूँ। जो शरणागत लोगों की रक्षा करते हैं और प्रणाम करने वालों के कष्टों का नाश करते हैं। इस श्लोक का उच्चारण भगवान गणेश की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भगवान गणेश की आराधना से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अमेयाय च हेरम्ब परशुधारकाय ते ।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः॥

अर्थ – मैं भगवान गणेश को प्रणाम करता हूँ, जो असीम (अपरिमित) हैं, जिनका नाम हेरम्ब है, जो फरसा धारण करते हैं, जिनका वाहन मूषक (चूहा) है, और जो संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी हैं। इस श्लोक का उच्चारण भगवान गणेश की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

ऊँ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने।
दुष्टारिष्टविनाशाय पराय परमात्मने॥

अर्थ – मैं भगवान गणेश को प्रणाम करता हूँ, जो विघ्नों के राजा हैं, जो सभी प्रकार के सुख प्रदान करने वाले हैं, जो दुष्ट और बुरी शक्तियों का नाश करने वाले हैं, और जो सर्वोच्च आत्मा हैं। इस श्लोक का उच्चारण भगवान गणेश की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

सिद्धिबुद्धि पते नाथ सिद्धिबुद्धिप्रदायिने।
मायिन मायिकेभ्यश्च मोहदाय नमो नमः॥

अर्थ – मैं भगवान गणेश को प्रणाम करता हूँ, जो सिद्धि और बुद्धि के स्वामी हैं, जो सिद्धि और बुद्धि प्रदान करने वाले हैं, जो माया के स्वामी हैं और भ्रमित लोगों का भ्रम दूर करने वाले हैं। इस श्लोक का उच्चारण भगवान गणेश की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भगवान गणेश की आराधना से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं, और जीवन में सुख-शांति, समृद्धि, और स्पष्टता प्राप्त होती है।

अभिप्रेतार्थसिद्ध्यर्थं पूजितो यः सुरासुरैः।
सर्वविघ्नच्छिदे तस्मै गणाधिपतये नमः॥

अर्थ – जो देवताओं और असुरों द्वारा इच्छित कार्य की सिद्धि के लिए पूजा किए जाते हैं, जो सभी विघ्नों (बाधाओं) को दूर करते हैं, उन गणों के स्वामी भगवान गणेश को प्रणाम। इस श्लोक का उच्चारण भगवान गणेश की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भगवान गणेश की आराधना से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और इच्छित कार्यों की सिद्धि होती है।

जय विघ्नकृतामाद्या भक्तनिर्विघ्नकारक।
अविघ्न विघ्नशमन महाविध्नैकविघ्नकृत्॥

अर्थ – विघ्नों का नाश करने वाले प्रथम देवता, जो भक्तों की सभी बाधाओं को दूर करते हैं, बिना किसी बाधा के विघ्नों का शमन करने वाले और महान विघ्नों का एकमात्र नाश करने वाले भगवान गणेश को जय हो। इस श्लोक का उच्चारण भगवान गणेश की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भगवान गणेश की आराधना से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।

लम्बोदराय वै तुभ्यं सर्वोदरगताय च।
अमायिने च मायाया आधाराय नमो नमः॥

अर्थ – मैं भगवान गणेश को प्रणाम करता हूँ, जिनका पेट बड़ा और गोल है, जो पूरी सृष्टि को अपने अंदर समाहित करते हैं। भगवान गणेश का स्वभाव पवित्र और निर्दोष है। वे माया (भ्रम) का आधार हैं और सभी प्रकार की मोह और भ्रांतियों को नियंत्रित करते हैं।

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्

अर्थ – मैं भगवान गणेश को प्रणाम करता हूँ, जो हाथी के मुख वाले हैं, जिनकी सेवा भूतगण और देवता करते हैं, जो कपित्थ और जम्बू फल का सुंदर भक्षण करते हैं, जो माता उमा (पार्वती) के पुत्र हैं, और जो शोक का नाश करने वाले हैं। मैं विघ्नेश्वर (विघ्नों के स्वामी) भगवान गणेश के चरण कमलों को नमस्कार करता हूँ।

गजाननाय महसे प्रत्यूहतिमिरच्छिदे।
अपारकरुणापूरतरङ्गितदृशे नमः॥

अर्थ – मैं भगवान गणेश को प्रणाम करता हूँ, जो हाथी के मुख वाले हैं, महानता से भरपूर हैं, जो सभी बाधाओं और अंधकार को नष्ट करते हैं, और जिनकी दृष्टि अपार करुणा के तरंगों से भरी हुई है।

सर्वविघ्नहरं देवं सर्वविघ्नविवर्जितमम्
सर्वसिद्धिप्रदातारं वन्देऽहं गणनायकम्॥

अर्थ – मैं भगवान गणेश को प्रणाम करता हूँ, जो सभी विघ्नों (बाधाओं) को दूर करने वाले, सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त, सभी सिद्धियों (सफलताओं) को प्रदान करने वाले गणनायक (गणों के स्वामी) हैं। इस श्लोक का उच्चारण भगवान गणेश की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भगवान गणेश की आराधना से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

(Shri Ganesh Ji Shlokas With Meaning In Hindi)


उम्मीद है की इस पोस्ट में दिए गणेश जी के श्लोक और मंत्र (Ganesha Mantra and Shlok) आपको पसंद आये होंगें। अपने सुझाव हमें कमेंट बॉक्स में लिखें।

Disclaimer– यह पोस्ट मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Bhaktilok इन मान्यता की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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