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गौरी स्तुति – जय जय गिरिवर राज किशोरी | Jai Jai Girivar Raj Kishori Lyrics

Jai Jai Girivar Raj Kishori Lyricsतुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के बालकांड में वर्णित यह प्रसंग सीता जी द्वारा पार्वती जी की स्तुति (गौरी स्तुति) के रूप में प्रसिद्ध है। जब मां सीता ने भगवान श्रीराम को पुष्प वाटिका में पहली बार देखा तो उनके मन में वह मनोहर छवि बस गई और वह वर रूप में भगवान श्रीराम ही कामना करने लगीं। माता सीता ने अपनी इस मनोकामना को किसी के साथ साझा नहीं किया और सीधे माता गौरी (पार्वती) के मंदिर पहुंचकर अपनी मन की बात कहने लगीं। यह माता सीता की शालीनता और संस्कारों का ही प्रमाण था कि भगवान श्रीराम की छवि मन में बसी होने के बावजूद, उन्होंने माता गौरी से भी सीधे-सीधे कुछ नहीं कहा। उन्होंने केवल इतना ही कहा कि “माँ, आप तो सबके मन की बात जानती हैं, कृपया मेरी मनोकामना पूर्ण करें।” माता सीता की इस प्रार्थना को सुनकर माता गौरी ने उन्हें आशीर्वाद दिया, जिससे यह सुनिश्चित हो गया कि जिनके बारे में सीता जी ने सोचा है, वही उन्हें वर रूप में प्राप्त होंगे।

ऐसा माना जाता है कि यदि कुंवारी कन्याएं माता गौरी की इस स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ करती हैं, तो उन्हें मनवांछित फल की प्राप्ति होती है, जैसे माता सीता को भगवान श्रीराम के रूप में वरदान प्राप्त हुआ। हम इस स्तुति (Jai Jai Girivar Rajkishori Stuti Lyrics in Hindi) के संपूर्ण बोल यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं –

Gauri Stuti – Jai Jai Girivar Raj Kishori Lyrics In Hindi

जय जय गिरिवर राज किसोरी ।
जय महेस मुख चन्द चकोरी ॥

जय गजबदन षडाननमाता ।
जगत जननी दामिनी दुति गाता ॥

नहिं तव आदि मध्य अवसाना ।
अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना ॥

भव भव विभव पराभव कारिनि ।
विस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि ॥

। दोहा ।

पति देवता सुतीय महुँ
मातु प्रथम तव रेख।
महिमा अमित न सकहिं
कहि सहस सारदा सेष ॥

सेवत तोहि सुलभ फल चारी
बरदायनी पुरारी पिआरी ॥

देबि पूजि पद कमल तुम्हारे ।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे ॥

कीन्हेऊँ प्रगट न कारन तेहीं ।
अस कहि चरन गहे बैदेही ॥

मोर मनोरथु जानहु नीकें ।
बसहु सदा उर पुर सबहीं के ॥

बिनय प्रेम बस भई भवानी ।
खसी माल मूरति मुसकानी ॥

सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ ।
बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ ॥

सुनु सिय सत्य असीस हमारी ।
पूजिहिं मनकामना तुम्हारी ॥

नारद बचन सदा सुचि साचा ।
सो बरू मिलिहि जाहिं मनु राचा ॥

मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो
बरू सहज सुंदर साँवरो।
करुना निधान सुजान
सीलु सनेह जानत रावरो ॥

एहि भाँति गौरि असीस सुनि
सिय सहित हियँ हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि-पुनि
मुदित मन मंदिर चली ॥

। सोरठा ।

जानि गौरि अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाय कहि।
मंजुल मंगल मूल
बाम अंग फरकन लगे ॥

Jai Jai Girivar Raj Kishori Lyrics In English

Jai Jai Girivar Raj Kisori
Jai Mahes Mukh Chand Chakori

Jai Gajbadan Shadananmata
Jagat Janani Damini Duti Gata

Nahi Tav Aadi Madhya Avasana
Amit Prabhau Bedu Nahi Jana

Bhav Bhav Vibhav Parabhav Karini
Vishwa Bimohani Svabas Viharini

Doha

Pati Devta Sutiya Mahu
Matu Pratham Tav Rekh
Mahima Amit Na Sakahin
Kahi Sahas Sarada Sesh

Sevat Tohi Sulabh Phal Chari
Vardayini Purari Piari

Devi Puji Pad Kamal Tumhare
Sur Nar Muni Sab Hohin Sukhare

Kinhyau Pragat Na Karan Tehi
As Kahi Charan Gahe Vaidehi

Mor Manorath Janahu Nike
Basahu Sada Ur Pur Sabhin Ke

Binay Prem Bas Bhayi Bhavani
Khasi Mal Moorti Muskani

Sadar Siyan Prasad Sir Dhareu
Boli Gauri Harash Hiyan Bhareu

Sunu Siya Satya Asees Hamari
Pujihin Mankamna Tumhari

Narad Vachan Sada Suchi Sacha
So Bar Milihi Jahi Manu Racha

Manu Jahi Rachaeu Milihi So
Bar Sahaj Sundar Sanwaro
Karuna Nidhan Sujan
Seel Saneh Janat Ravaro

Ehi Bhanti Gauri Asees Suni
Siy Sahit Hiyan Harashi Ali
Tulsi Bhawani Puj Puni-Puni
Mudit Man Mandir Chali

Soratha

Jani Gauri Anukool Siy
Hiy Harash Na Jay Kahi
Manjul Mangal Mool
Bam Ang Farakan Lage.


FAQs – Jai Jai Girivar Raj Kishori Lyrics

1. जय जय गिरिवर राजकिशोरी भजन किसकी स्तुति है?

“जय जय गिरिवर राजकिशोरी” भजन माता गौरी की स्तुति है। यह भजन रामचरितमानस के बालकांड में वर्णित है, जब माता सीता ने भगवान श्रीराम को वर रूप में प्राप्त करने के लिए माता गौरी की वंदना की थी।

2. क्या इस भजन का पाठ करने के विशेष लाभ हैं?

हाँ, इस भजन का पाठ करने से मन की शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं के लिए इसे फलदायी माना जाता है।

3. इस भजन का पाठ कैसे और कब करना चाहिए?

इस भजन का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से पूजा, व्रत, और त्योहारों के दौरान इसका पाठ अधिक प्रभावी माना जाता है। श्रद्धा और भक्ति से किया गया पाठ अत्यधिक फलदायी होता है।


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