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विद्या पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित – 5 Vidya Sanskrit Shlok For Students

Vidya Sanskrit Shlok – संस्कृत श्लोकों में विद्या की महिमा का वर्णन अनूठा और अनुपम है। हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने विद्या के महत्व को समझाते हुए अनेक श्लोकों की रचना की है, जो आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक हैं। इन श्लोकों में न केवल ज्ञान की महानता का गुणगान है, बल्कि यह भी बताया गया है कि विद्या कैसे मनुष्य के जीवन को संवारती और उसे सर्वांगीण विकास की ओर अग्रसर करती है। इस पोस्ट में हम कुछ महत्वपूर्ण संस्कृत श्लोकों (Sanskrit Shlok on Vidya) और उद्धरण (Quotes) का परिचय देंगे, जो विद्या के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं और हमें यह सिखाते हैं कि विद्या ही सच्चा धन और सुख का साधन है। आइए, इन श्लोकों के माध्यम से विद्या के गुणों को समझें और आत्मसात करें।


विद्या पर संस्कृत के 5 श्लोक अर्थ के साथ | 5 Sanskrit Shlokas on Vidya that every student should know

विद्यानं नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम्।
विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः॥

अर्थ: विद्या मनुष्य का सर्वोत्तम और श्रेष्ठ रूप है। यह एक छिपा हुआ और सुरक्षित धन है। विद्या जीवन में भोग (सुख) प्रदान करती है, यश (प्रसिद्धि) दिलाती है और सुखद जीवन का आधार बनती है। विद्या सभी प्रकार के गुरुओं की भी गुरु है, अर्थात् विद्या ही सर्वोच्च शिक्षक है।

विद्या विवादाय धनं मदाय शक्तिः परेषां परिपीडनाय।
खलस्य साधोर्विपरीतमेतज्ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय॥

अर्थ: दुष्ट व्यक्ति के लिए विद्या विवाद का कारण बनती है, धन घमंड का कारण और शक्ति दूसरों को पीड़ा देने का साधन होती है। इसके विपरीत, सज्जन व्यक्ति के लिए विद्या ज्ञान का साधन है, धन दान का साधन और शक्ति रक्षा का साधन होती है। यह श्लोक बताता है कि गुणों का सही या गलत उपयोग व्यक्ति की प्रवृत्ति और चारित्रिक गुणों पर निर्भर करता है।

विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्॥

अर्थ: विद्या व्यक्ति को विनय (नम्रता) प्रदान करती है। विनय से व्यक्ति में पात्रता (योग्यता) उत्पन्न होती है। जब व्यक्ति योग्य हो जाता है, तो उसे धन की प्राप्ति होती है। धन मिलने के बाद व्यक्ति धर्म (सदाचार) का पालन करता है और धर्म से अंततः सुख की प्राप्ति होती है। इस श्लोक का सार यह है कि विद्या के माध्यम से व्यक्ति न केवल भौतिक धन प्राप्त करता है बल्कि नैतिक और आध्यात्मिक उन्नति भी करता है, जिससे अंत में उसे सच्चा सुख मिलता है। विद्या ही सब गुणों की जड़ है जो जीवन को सार्थक बनाती है।

नास्ति विद्यासमो बन्धुर्नास्ति विद्यासमः सुहृत्।
नास्ति विद्यासमं वित्तं नास्ति विद्यासमं सुखम्॥

अर्थ: विद्या जैसा कोई बंधु (मित्र) नहीं है, विद्या जैसा कोई सच्चा मित्र नहीं है। विद्या जैसा कोई धन नहीं है, और विद्या जैसा कोई सुख नहीं है। इस श्लोक का सार यह है कि विद्या मनुष्य के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण और मूल्यवान है। यह सभी प्रकार के रिश्तों, धन, और सुखों से श्रेष्ठ है, और जीवन की सच्ची संपत्ति है।

विद्या नाम नरस्य कीर्तिरतुला भाग्यक्षये चाश्रयो
धेनुः कामदुधा रतिश्च विरहे नेत्रं तृतीयं च सा ।

सत्कारायतनं कुलस्य महिमा रत्नैर्विना भूषणम्
तस्मादन्यमुपेक्ष्य सर्वविषयं विद्याधिकारं कुरु ॥

अर्थ: विद्या मनुष्य के लिए अनुपम कीर्ति (प्रसिद्धि) का स्रोत है और भाग्य का नाश होने पर आश्रय देती है। यह कामधेनु के समान सभी इच्छाओं को पूरा करती है, विरह में सुखद साथी बनती है और तीसरी आँख की तरह ज्ञान का दृष्टिकोण देती है। विद्या कुल की प्रतिष्ठा बढ़ाती है और बिना रत्न का आभूषण (गहना) है। इसलिए, अन्य सभी विषयों को छोड़कर विद्या को प्राथमिकता देकर उसका अधिकार प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। विद्या ही सच्चा धन और स्थायी सुख का माध्यम है।

(Sanskrit Shlokas on Vidya)


Quotes in Sanskrit on Education / Vidya

विद्या सा वैकृता

अर्थ: विद्या वास्तविक परिवर्तन लाती है। सच्ची विद्या वह है जो व्यक्ति के जीवन में वास्तविक और सकारात्मक परिवर्तन लाती है।

स विद्या या विमुक्तये

अर्थ: वही विद्या है जो मुक्ति दिलाए। इस श्लोक का अर्थ है कि वास्तविक ज्ञान वह है जो हमें सभी प्रकार के बंधनों से मुक्त करता है—चाहे वे अज्ञान के हों, मानसिक तनाव के हों, या आत्मिक अवरोधों के हों।

विद्या विवेकधात्री

अर्थ: विद्या विवेक (समझ) को धारण करती है। इसका मतलब है कि सच्ची विद्या वह है जो व्यक्ति में विवेकशीलता और सही-गलत की पहचान करने की क्षमता उत्पन्न करती है। विद्या के माध्यम से व्यक्ति में सही निर्णय लेने की क्षमता और बुद्धिमत्ता विकसित होती है।

विद्या धनं सर्वधनप्रधानम्

अर्थ: विद्या का धन सभी धनों में सर्वोत्तम है। इसका अर्थ है कि ज्ञान का धन सबसे मूल्यवान है, जो सभी भौतिक संपत्तियों से बढ़कर है। विद्या से प्राप्त ज्ञान न केवल जीवन को समृद्ध बनाता है, बल्कि स्थायी और सच्चा सुख भी प्रदान करता है।

विद्या युक्ति: कृणुते

अर्थ: विद्या युक्ति (skill) प्रदान करती है। इसका अर्थ है कि सच्ची विद्या व्यक्ति को सही ज्ञान और बुद्धिमत्ता देती है, जिससे वह जीवन की समस्याओं का समाधान कर सकता है। विद्या व्यक्ति में चतुराई और व्यावहारिक ज्ञान विकसित करती है, जिससे वह हर परिस्थिति में सफल हो सकता है।


आशा है कि ये श्लोक (Vidya Sanskrit Shlok) और उद्धरण (Quotes) आपको विद्या की महत्ता को समझने और उसे अपने जीवन में आत्मसात करने के लिए प्रेरित करेगी। विद्या न केवल हमें ज्ञान का प्रकाश देती है, बल्कि हमारे जीवन को सही दिशा और उद्देश्य प्रदान करती है। यह हमारे चरित्र का निर्माण करती है, हमारे भीतर विनम्रता और समझ का विकास करती है, और हमें सच्चे सुख की ओर ले जाती है। धन्यवाद!!

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