Maiya Mori Main Nahi Makhan Khayo Lyrics – सूरदास जी द्वारा रचित भजन “मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो” भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को अद्भुत ढंग से प्रस्तुत करता है। इस भजन में बालकृष्ण अपनी माता यशोदा के सामने अपनी निर्दोषता साबित करने की कोशिश करते हैं। वह अपनी माँ से कहते हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया, बल्कि पूरा दिन गाएँ चराने और बंसी बजाने में बिताया। जब अन्य ग्वालबालों ने उन पर माखन चोरी का आरोप लगाया, तो बालकृष्ण ने अपनी मासूमियत के साथ उनका प्रतिवाद किया।
इस भजन में सूरदास जी ने बालकृष्ण की प्यारी और मासूम छवि को बेहद खूबसूरती से उकेरा है। यह भजन भक्तों को न केवल कृष्ण की बाल लीलाओं की याद दिलाता है, बल्कि उनके प्रति भक्ति और प्रेम की भावना को भी गहरा करता है। यशोदा और कृष्ण के बीच के प्रेम और ममता के इस अनूठे संवाद को सुनते हुए मन में भक्ति और स्नेह की भावनाएँ उमड़ पड़ती हैं।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इस प्रसिद्ध भजन के बोल और उनके भावार्थ को साझा करेंगे। यह भजन हमें न केवल कृष्ण की लीलाओं का आनंद लेने का मौका देता है, बल्कि हमें उनके दिव्य स्वरूप और उनकी अलौकिक शक्तियों के प्रति हमारी भक्ति को और अधिक मजबूत करने का अवसर भी प्रदान करता है। आइए, इस भजन के माध्यम से बालकृष्ण की बाल लीलाओं का आनंद लें और अपनी भक्ति को एक नई दिशा दें।
Maiya Mori Main Nahi Makhan Lyrics In Hindi
मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो ।
भोर भयो गैयन के पाछे,
मधुवन मोहिं पठायो ।
चार पहर बंसीबट भटक्यो,
साँझ परे घर आयो ॥
मैं बालक बहिंयन को छोटो,
छींको किहि बिधि पायो ।
ग्वाल बाल सब बैर परे हैं,
बरबस मुख लपटायो ॥
तू जननी मन की अति भोरी,
इनके कहे पतिआयो ।
जिय तेरे कछु भेद उपजि है,
जानि परायो जायो ॥
यह लै अपनी लकुटि कमरिया,
बहुतहिं नाच नचायो ।
सूरदास तब बिहँसि जसोदा,
लै उर कंठ लगायो ॥
Maiya Mori Main Nahi Makhan Khayo Lyrics In English
Maiya Mori Main Nahi Makhan Khayo
Bhor Bhayo Gaiyan Ke Paachhe,
Madhuvan Mohin Pathayo ।
Chaar Pahar Bansibat Bhatkyo,
Saanjh Pare Ghar Aayo ॥
Main Balak Bahinyan Ko Chhoto,
Chhinko Kihi Bidhi Paayo ।
Gwal Baal Sab Bair Pare Hain,
Barbas Mukh Laptayo ॥
Tu Janani Man Ki Ati Bhori,
Inke Kahe Patiayo ।
Jiy Tere Kachhu Bhed Upaji Hai,
Jaani Parayo Jaayo ॥
Yah Lai Apni Lakuti Kamriya,
Bahutahin Naach Nachayo ।
Surdas Tab Bihansi Jasoda,
Lai Ur Kanth Lagayo ॥
भावार्थ: भजन “मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो” में भगवान कृष्ण अपनी माता यशोदा से माखन चोरी का आरोप लगने पर मासूमियत भरी सफाई देते हैं। कृष्ण बताते हैं कि वे सुबह से गायों को चराने मधुवन गए थे और दिनभर बंसी बजाते हुए वापस शाम को घर लौटे। वे अपनी छोटी उम्र और छोटे हाथों का हवाला देकर कहते हैं कि वे ऊंचाई पर रखे माखन तक नहीं पहुंच सकते। कृष्ण ग्वालबालों पर आरोप लगाते हैं कि उन्होंने जबरदस्ती उनके मुख पर माखन लगा दिया है। कृष्ण अपनी माता से कहते हैं कि वह भोली हैं और ग्वालबालों की बातों पर विश्वास कर रही हैं, जिससे उन्हें लगता है कि उनकी माता अब उन पर विश्वास नहीं कर रही हैं और उन्हें पराया मान रही हैं। कृष्ण मजाक में कहते हैं कि वे अपनी लकुटि (छड़ी) और कमरिया (चादर) ले लेंगे और बहुत नाच नचाएंगे। अंत में, यशोदा हंसते हुए कृष्ण को गले लगा लेती हैं। इस भजन में सूरदास जी ने माता-पुत्र के गहरे प्रेम और स्नेह को सुंदर तरीके से चित्रित किया है, जो न केवल कृष्ण की बाल लीलाओं को उजागर करता है बल्कि भक्ति और प्रेम की भावना को भी प्रकट करता है।
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