Sampurna Mantra Pushpanjali – मंत्र पुष्पांजलि हिंदू धर्म के पूजा अनुष्ठानों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह मंत्र देवताओं को पुष्प अर्पित करते हुए उनकी स्तुति करने के लिए प्रयोग किया जाता है। संपूर्ण मंत्र पुष्पांजलि का पाठ पूजा के अंत में किया जाता है, जो कि देवताओं को पुष्पांजलि अर्पित करने की विधि है। इस विधि के माध्यम से हम अपने आराध्य देवताओं को धन्यवाद देते हैं और उनसे कल्याण की कामना करते हैं। इस पोस्ट में हम संपूर्ण मंत्र पुष्पांजलि के Lyrics, अर्थ, इसके महत्व और लाभों के बारे में जानेंगे।
संपूर्ण मंत्र पुष्पांजलि – Sampurna Mantra Pushpanjali in Sanskrit
॥ संपूर्ण मंत्र पुष्पांजलि ॥
प्रथम:
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा: ॥
द्वितीय:
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने।
नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
स मस कामान् काम कामाय मह्यं।
कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय।
महाराजाय नम: ।
तृतीय:
ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं
वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं ।
समन्तपर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषः आन्तादापरार्धात् ।
पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकराळ इति ॥
चतुर्थ:
ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो।
मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे।
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति ॥
॥ मंत्रपुष्पांजली समर्पयामि ॥
पुष्पांजलि मंत्र हिन्दी भावार्थ के साथ
आइये जानते है आरती से पहले गए जाने वाला संपूर्ण पुष्पांजणी मंत्र अर्थ सहित-
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा: ॥1॥
हिन्दी अर्थ – देवताओं ने यज्ञ के माध्यम से यज्ञ किया, जिससे ये धर्म स्थापित हुए। वे उस उच्च लोक में स्थित हैं जहां पहले साध्य देवता रहते थे।
विस्तृत भावार्थ – यह श्लोक ऋग्वेद से लिया गया है और इसका गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इसमें बताया गया है कि प्राचीन काल में देवताओं ने यज्ञ के माध्यम से यज्ञ की स्थापना की थी, जिससे विभिन्न धर्म और कर्तव्य स्थापित हुए। इन यज्ञों के परिणामस्वरूप ही वे उच्च लोक (स्वर्ग) प्राप्त कर सके, जहां पहले से ही साध्य (देवताओं का एक वर्ग) निवास करते थे। यज्ञ को धर्म का मूल आधार माना गया है, और इसे करने से देवता और मनुष्य दोनों को उच्चतर लोक की प्राप्ति होती है।
यह श्लोक इस बात पर भी जोर देता है कि धार्मिक अनुष्ठानों और यज्ञों का पालन करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। यज्ञ के माध्यम से देवताओं ने अपनी महिमा को और अधिक बढ़ाया और स्वर्ग में स्थान प्राप्त किया, जो कि एक प्रेरणादायक संदेश है। इस श्लोक का पाठ करने से व्यक्ति को धर्म, यज्ञ और देवताओं की महिमा का स्मरण होता है, जो उसे धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है।
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने।
नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
स मस कामान् काम कामाय मह्यं।
कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय।
महाराजाय नम: ॥2॥
हिन्दी अर्थ – हम राजाधिराज (राजाओं के राजा) और अपराजेय साहस वाले वैश्रवण (कुबेर) को नमस्कार करते हैं। हम आपको प्रणाम करते हैं। आप हमारी सभी इच्छाओं को पूरा करें। कामेश्वर (इच्छाओं के स्वामी) वैश्रवण (कुबेर) हमें हमारी इच्छाएँ प्रदान करें। हम महाराज कुबेर को नमस्कार करते हैं।
विस्तृत भावार्थ – यह श्लोक भगवान कुबेर को समर्पित है, जो धन और समृद्धि के देवता माने जाते हैं। यह मंत्र धन, समृद्धि और इच्छाओं की पूर्ति के लिए कुबेर की आराधना और प्रार्थना करता है। भगवान कुबेर को धन और भौतिक सुख-सुविधाओं का देवता माना जाता है, और उनकी पूजा से आर्थिक समृद्धि और स्थिरता प्राप्त होती है। इस श्लोक का पाठ विशेष रूप से धन की प्राप्ति और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए किया जाता है।
ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं
वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं ।
समन्तपर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषः आन्तादापरार्धात् ।
पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकराळ इति ॥3॥
हिन्दी अर्थ – हमारा कल्याण हो। हमें साम्राज्य (महान राज्य), भौज्य (संपन्नता), और स्वाराज्य (स्वतंत्रता) की प्राप्ति हो। हमें वैराज्य (महानता), पारमेष्ठ्य (श्रेष्ठता), राज्य (राज्य), महाराज्य (महान राज्य), और अधिपत्य (सर्वोच्चता) की प्राप्ति हो। हमें सर्वत्र, सार्वभौमिक (समस्त पृथ्वी पर अधिकार), सार्वायुष (दीर्घायु), आन्तादापरार्ध (आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि) की प्राप्ति हो। हमें पूरी पृथ्वी पर समुद्र तक का एकमात्र अधिपत्य प्राप्त हो।
विस्तृत भावार्थ – इस श्लोक के माध्यम से, व्यक्ति अपने जीवन में हर प्रकार की भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि की प्रार्थना करता है। यह प्रार्थना भगवान से आशीर्वाद के रूप में सभी प्रकार की संपन्नता, शक्ति और महानता की प्राप्ति की इच्छा व्यक्त करती है। यह श्लोक एक उच्चतम और सर्वांगीण जीवन की कामना को दर्शाता है, जिसमें राजकीय, भौतिक, और आध्यात्मिक उन्नति शामिल है।
ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो।
मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे।
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति ॥4॥
हिन्दी अर्थ – यह श्लोक राज्य की महिमा और राज्य की कीर्ति गाने के लिए गाया गया है। अविक्षित के पुत्र मरुती, जो राज्यसभा के सर्व सभासद हैं, ऐसे मरुतगणों द्वारा परिवेष्टित यह राज्य हमें प्राप्त हो, यही हमारी कामना है।
विस्तृत भावार्थ – इस श्लोक में बताया गया है कि मरुत (इंद्र) के घर में मरुतगण निवास करते हैं और उनके चारों ओर होते हैं। आविक्षित, जो एक महान राजा हैं, उनके प्रिय और सभी देवता उनकी सभा में उपस्थित होते हैं। यह श्लोक देवताओं की महानता और उनके संगठित होने का वर्णन करता है। इसमें यह भी दिखाया गया है कि कैसे एक राजा अपनी सभा में सभी देवताओं का सम्मान करता है और उनके प्रिय होते हैं।
यह श्लोक उस आदर्श समाज का चित्रण करता है जहाँ सभी देवता और महान आत्माएँ एकत्रित होती हैं और मिलजुलकर रहते हैं। यह हमारे लिए एक प्रेरणा है कि हम भी अपने जीवन में ऐसे ही आदर्शों को अपनाएं और एक संगठित और समृद्ध समाज का निर्माण करें।
पुष्पांजलि मंत्र कैसे करें?
पुष्पांजलि का अर्थ है भगवान को फूलों की माला या पुष्प अर्पित करके श्रद्धा और भक्ति प्रकट करना। यह पूजा के अंत में या किसी विशेष अवसर पर भगवान के प्रति सम्मान और समर्पण के रूप में की जाती है। पुष्पांजलि करते समय कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिससे पूजा और भी अधिक पवित्र और फलदायी बन जाती है।
पुष्पांजलि मंत्र विधि:
- सर्वप्रथम, पूजा की तैयारी करें: पूजा स्थल को साफ करें और भगवान की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें। पुष्प, चावल और अन्य पूजन सामग्री तैयार रखें।
- ध्यान करें: भगवान का ध्यान करें और अपने मन को शांत करें। ध्यान करते समय भगवान की कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
- पुष्पांजलि मंत्र का उच्चारण करें: पुष्प अर्पित करते समय पुष्पांजलि मंत्रों का उच्चारण करें।
- पुष्प अर्पित करें: मंत्रों का उच्चारण करते समय फूलों को धीरे-धीरे भगवान के चरणों में अर्पित करें। यह प्रक्रिया भक्ति और श्रद्धा से करनी चाहिए।
- समर्पण और आशीर्वाद प्राप्त करें: पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद भगवान से अपने और परिवार के कल्याण की प्रार्थना करें। अंत में भगवान के आशीर्वाद का अनुभव करें और धन्यवाद ज्ञापन करें।
इस विधि से पुष्पांजलि अर्पित करने से भगवान की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और भक्त के जीवन में शांति, समृद्धि और सुख का आगमन होता है।
विभिन्न देवी-देवताओं के लिए पुष्पांजलि मंत्र
माँ सरस्वती पुष्पांजलि मंत्र – Saraswati Pushpanjali Mantra
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा, या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
अर्थ: जो देवी कुन्द के फूल, चंद्रमा और बर्फ के समान श्वेत हैं, जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथों में वीणा और वरद मुद्रा है, जो श्वेत कमल पर विराजमान हैं। जिनकी ब्रह्मा, विष्णु और शिव जैसे देवता भी नित्य स्तुति करते हैं, वे माँ सरस्वती, हमारी समस्त मूर्खता और अज्ञानता को दूर करके हमारी रक्षा करें।
यह मंत्र विद्या, ज्ञान और बुद्धि की देवी माँ सरस्वती की वंदना के लिए है। जब पुष्प अर्पित करते हैं, तो यह मंत्र उच्चारित कर देवी से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना की जाती है।
दुर्गा पुष्पांजलि मंत्र – Durga Pushpanjali Mantra
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तु ते॥1॥
अर्थ: हे माँ दुर्गा! आप सभी मंगलों में श्रेष्ठ हैं, आप कल्याणकारी हैं और समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं। आप सभी की शरण देने वाली, त्रिनेत्रधारी माँ गौरी हैं। हे नारायणी देवी! आपको नमन है।
ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी ।
दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥2॥
अर्थ: हे माँ दुर्गा! जो जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा और स्वधा के रूप में प्रकट होती हैं, आपको नमन है। यह चन्दन, गंध, पुष्प, और बिल्व पत्र की अंजलि आपको अर्पित है। हे माँ दुर्गा! आपको मेरा प्रणाम है।
ॐ महिषघ्नी महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी।
आयुरारोग्यविजयं देहि देवि! नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥3॥
अर्थ: हे महिषासुर का वध करने वाली, महान माया की स्वामिनी, चामुंडा देवी, और मुण्डों की माला पहनने वाली देवी! आपको प्रणाम है। कृपा कर हमें आयु, आरोग्य (स्वास्थ्य), और विजय प्रदान करें। यह चन्दन, गंध, पुष्प और बिल्व पत्र की अंजलि आपको समर्पित है। हे माँ दुर्गा, आपको नमन है।
शिव पुष्पांजलि मंत्र – Shiv Pushpanjali Mantra
ॐ विश्व दकचक्षुरुत विश्वतो मुखो विश्वतोबाहुरुत,
विश्वतस्पात संबाहू ध्यानधव धिसम्भत त्रैत्याव भूमी जनयंदेव एकः।
ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।
ॐ नाना सुगंध पुष्पांनी यथापादो भवानीच, पुष्पांजलीर्मयादत्तो रुहाण परमेश्वर
ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री सांबसदाशिवाय नमः।
अर्थ: यह मंत्र भगवान शिव की सर्वव्यापकता, शक्ति, और कृपा की स्तुति करता है। शिव सर्वत्र दृष्टि रखने वाले, सभी दिशाओं में मुख और हाथों से युक्त, और सृष्टि के निर्माता हैं। इस मंत्र में भक्त शिव से ज्ञान और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं। सुगंधित पुष्प अर्पित कर, भक्त शिव और माँ भवानी से अंजलि स्वीकार करने की विनती करते हैं। अंत में, त्रिलोक के स्वामी श्री सांब सदाशिव को नमन किया जाता है।
पुष्पांजलि मंत्र का महत्व
मंत्र पुष्पांजलि हिंदू पूजा अनुष्ठानों में पूजा के अंत में देवताओं को पुष्प अर्पित करने के लिए की जाती है। यह अनुष्ठान न केवल धार्मिक, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। संपूर्ण मंत्र पुष्पांजलि का महत्व कई तरीकों से उजागर होता है:
- धार्मिक महत्व:
- देवताओं की स्तुति: मंत्र पुष्पांजलि के माध्यम से हम देवताओं की महिमा का गुणगान करते हैं। यह अनुष्ठान देवताओं को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम है।
- शुभकामनाएं: मंत्र पुष्पांजलि में उपयोग किए जाने वाले मंत्र देवताओं से कल्याण, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं। यह हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- आध्यात्मिक महत्व:
- आत्मा की शुद्धि: मंत्र पुष्पांजलि का पाठ आत्मा की शुद्धि और मन की शांति के लिए किया जाता है। इसके माध्यम से हम अपनी आत्मा को दिव्य ऊर्जा से भरते हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह अनुष्ठान हमारी आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है। इसके नियमित पाठ से हमारी आत्मा का विकास होता है और हम आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर होते हैं।
- भावनात्मक महत्व:
- श्रद्धा और भक्ति: मंत्र पुष्पांजलि का पाठ हमारी श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करता है। यह हमारे और हमारे आराध्य देवताओं के बीच एक भावनात्मक संबंध को मजबूत करता है।
- ध्यान और एकाग्रता: मंत्र पुष्पांजलि का उच्चारण ध्यान और एकाग्रता को बढ़ावा देता है। इसके नियमित अभ्यास से मन की एकाग्रता बढ़ती है और ध्यान की गहराई में वृद्धि होती है।
- सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व:
- सामुदायिक पूजा: मंत्र पुष्पांजलि का पाठ अक्सर सामूहिक रूप से किया जाता है, जिससे सामुदायिक भावना और एकता का विकास होता है।
- संस्कृति और परंपरा: यह अनुष्ठान हमारी प्राचीन संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसके माध्यम से हम अपने धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को अगली पीढ़ी तक पहुंचाते हैं।
संपूर्ण मंत्र पुष्पांजलि (Sampurna Pushpanjali Mantra) का महत्व न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह हमारे जीवन को भावनात्मक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध करता है। इसके नियमित पाठ से हम अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं।
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